पहाट झाली | उठा प्रभुवरा | चरणकमल दावा |
रात्र लोपली | उजळली धरा | दर्शन द्या देवा || १ ||
आर्त जाहली | मनें मुनिवरा | बघण्या डोळांभरां |
मूर्ति नमिली | दर्शन अधिरा | देवा कृपा करा || २ ||
दिशा लाभली | धरा – अंबरां | विशाल जगदांतरा |
इच्छा धरिली | भवार्ण तारा | शमवा जन्मांतरा || ३ ||
रात्र सांडिली | निरवा तिमिरा | बालदास ईश्वरा |
माया वेष्टिली | मनहृदयांतरा | तारा परात्परा || ४ ||
धांव घेतली | कृपावतारा | देवा करुणाकरा |
हाक घातली | येऊन दारां | शरणार्थी तारा || ५ ||
सृष्टि तिष्ठली | मंदिर दारां | जमला जनमेळा |
दृष्टि जाहली | अधीर गुरुवरा | दर्शन द्या सकलां || ६ ||
वाट पाहिली | दर्शन प्रहरा । संयमी योगेश्वरा |
योग – माऊली | योग – भास्करा | जडजीवा तारा || ७ ||
गुरु – माऊली | कृपा सागरा | बालदास ईश्वरा |
पांखर घाली | दयासागरा | भवसागर उद्धरा || ८ ||
नमस्कारीली | परमानंदा | मूर्ति अभ्यंतरा |
नित्य ध्यायीली | प्रेमानंदा | बालदास गुरुवरा || ९ ||
बालदास गुरुवरा | श्री बालदास गुरुवरा |
नमस्करोमि पुन:पुन्हा | श्री बालदास ईश्वरा || १० ||
हरि ॐ तत्सत ||
– कै. प्रेमानंद मयेकर (मुंबई)